युगों युगों से यही तो हमने
पुरखो से सुनी कहानी हे
सारे जग में जो पिटता हे
समझो हिन्दुस्तानी हे
रहते हे इस देश में लेकिन
नहीं देश यह भाता हे
सभी चाहते अलग होना
अपना रास्ट्र सुहाता हे
भले देश हो जाये टुकड़े
इनको तो कुर्सी पानी हे
सारे जग जो पिटता हे
अम्जो हिंदुस्थानी हे
पाक चढ़ाये रहता आँखे
बंगलादेश चिढ़ता हे
कभी कभी नेपाल का बच्चा
हमको आँख दिखता हे
हरदम चीन चढ़ा रहता हे
याद दिलाता नानी हे
सारे जग में जो पिटता हे
समझो हिंदुस्थानी हे
अगवा जहाज हमारे होते
मछुआरे भी जीवन खोते
गुरूद्वारे में ग्रंथि पिटते
पढ़ने वाले लडके मरते
हाथ धरे बैठी सरकारे
केवल सख्त बयानी हे
सारे जग में जो पिटता हे समझो
हिन्दिस्थानी हे
सभी चाहते टूटे भारत
खत्म हो गई इसकी गैरत
पिट पिट कर सदियों से इसने
धारण कर ली ऐसी सूरत
मुस्कराता हे मार खाकर
अहिंसा डगर अपनानी हे
सारे जग में जो ----
हिन्दू को मारो मचे हंगमा
मुस्लिम मरे बवाल हो जाये
सिख को मारो तांडव चालू
ईशा पंथी हुँकार लगाये
मारो तुम भारत वाशी को
उबले नहीं जवानी हे
सारे जग में जो पिटता हे
समझो हिंदुस्थानी हे
सोमवार, 7 नवंबर 2011
रविवार, 6 नवंबर 2011
मैं जब देखता हू -मील के पत्थर को
तो आने लगते हैं कुछ ख्याल
न जाने कितने वर्षो से मूक खड़ा हे
चुपचाप गडा हे सड़क के किनारे
बन कर शाख्शी न जाने कितने खुले अधखुले
इतिहास के प्रष्टो का
देखा हे उसने अपने ही परिवार का विभाजन
जब किसी रेड्क्लिफ्फ़ ने बाँट दिया था न सिर्फ उसके
देश को बल्कि पथरो के उसके परिवार को भी जो फेला था
कटक से अटक तक
खड़ा रहकर एक जगह वह बता देता हे सबको उनकी
मंजिल का पता
मैं ही नहीं सारा देश ही इस समय तलाश रहा हे
मील का पत्थर जो दिखा सके रास्ता देश की भटकी हुई गाड़ी को
तो आने लगते हैं कुछ ख्याल
न जाने कितने वर्षो से मूक खड़ा हे
चुपचाप गडा हे सड़क के किनारे
बन कर शाख्शी न जाने कितने खुले अधखुले
इतिहास के प्रष्टो का
देखा हे उसने अपने ही परिवार का विभाजन
जब किसी रेड्क्लिफ्फ़ ने बाँट दिया था न सिर्फ उसके
देश को बल्कि पथरो के उसके परिवार को भी जो फेला था
कटक से अटक तक
खड़ा रहकर एक जगह वह बता देता हे सबको उनकी
मंजिल का पता
मैं ही नहीं सारा देश ही इस समय तलाश रहा हे
मील का पत्थर जो दिखा सके रास्ता देश की भटकी हुई गाड़ी को
शनिवार, 30 अप्रैल 2011
nadi ki dhar
रात सा आलम लगता हैं अब दोपहर में
बात कुछ ऐसी हुई पिछले दिनों शहर में
क़त्ल करने के लिए सीने में खंजर घोप दो
जान लेने वाली बात अब नहीं हे जहर में
देख कर लगता नहीं इस नदी की धार को
कल बहा कर ले गई जो गाव को लहर में
घात करने के लिए दुश्मन नहीं अब चाहिए
बहुत हो गए हे यार मेरे अब इस शहर में
आवाम की तकलीफ से भला उन्हें क्या वास्ता
ठाठ उनके हो गए हैं जन्दगी के प्रहर में
बात कुछ ऐसी हुई पिछले दिनों शहर में
क़त्ल करने के लिए सीने में खंजर घोप दो
जान लेने वाली बात अब नहीं हे जहर में
देख कर लगता नहीं इस नदी की धार को
कल बहा कर ले गई जो गाव को लहर में
घात करने के लिए दुश्मन नहीं अब चाहिए
बहुत हो गए हे यार मेरे अब इस शहर में
आवाम की तकलीफ से भला उन्हें क्या वास्ता
ठाठ उनके हो गए हैं जन्दगी के प्रहर में
गुरुवार, 28 अप्रैल 2011
aajkal
हर कोई दे रहा उपदेश देखो आजकल
बन गया आदमी दरवेश देखो आजकल
सज गई धर्म की दुकान से सब बस्तिया
बिक रहे सीख के सन्देश देखो आजकल
सत्य के शेयर निरंतर गिर रहे हे
बढ़ रहा झूठ का संसेक्स देखो आजकल
दर्द मेरा देख कर सबने किनारा कर लिया
छिपा रहे हैं यार भी फेस देखो आजकल
पिस रहे मुल्क के आरमान दुगने वेग से
बढ़ रहा इस तरह से देश देखो आजकल
सेवा के सवाल पर नेताजी कहने लेगे
करना पड़ता हर जगह निवेश देखो आजकल
देश के हालात पर सवाल मत करना आनंद
खा जाती हैं कुस्रिया तेश देखो आजकल
बन गया आदमी दरवेश देखो आजकल
सज गई धर्म की दुकान से सब बस्तिया
बिक रहे सीख के सन्देश देखो आजकल
सत्य के शेयर निरंतर गिर रहे हे
बढ़ रहा झूठ का संसेक्स देखो आजकल
दर्द मेरा देख कर सबने किनारा कर लिया
छिपा रहे हैं यार भी फेस देखो आजकल
पिस रहे मुल्क के आरमान दुगने वेग से
बढ़ रहा इस तरह से देश देखो आजकल
सेवा के सवाल पर नेताजी कहने लेगे
करना पड़ता हर जगह निवेश देखो आजकल
देश के हालात पर सवाल मत करना आनंद
खा जाती हैं कुस्रिया तेश देखो आजकल
रविवार, 3 अप्रैल 2011
bufe bhoj
बुफे जीमन
मुन्गरे सु करता था मनवारो मोटी मोटी
हाथ जोर जीमन ने आसन बिचावता
धोमा लेने करता था पुरासरो प्रेम सु
कवा देवन सारुखुद मोर्चा लगवाता
हम्मे ऐ सारी बातो लगे हे सपने ज्यू
डोलता फिरे हे सब रोटियो रीखोज में
हल्दीघाटी रो सीन देखना जो चाओ भाई
आओ म्हारे साथै इण बुफे वाले भोज में
मुन्गरे सु करता था मनवारो मोटी मोटी
हाथ जोर जीमन ने आसन बिचावता
धोमा लेने करता था पुरासरो प्रेम सु
कवा देवन सारुखुद मोर्चा लगवाता
हम्मे ऐ सारी बातो लगे हे सपने ज्यू
डोलता फिरे हे सब रोटियो रीखोज में
हल्दीघाटी रो सीन देखना जो चाओ भाई
आओ म्हारे साथै इण बुफे वाले भोज में
शनिवार, 26 मार्च 2011
गोरो रा दूहा
१
गोरा आया गाँव में मच गई रेलम पेल
होटलिया हुरदंग करे ज्यो होली रो खेल
२
घर घर खुल गी होटलों हो रही ढोलम ढोल
रिश्ता हो गया बावला नाता पोलमपोल
३
कविताओ काला करे अर भोला भने किताब
गोरो री करो गाइडिंग पूरा कर लो खवाब
४
भनियोरा भुजिया तले अनभानियो रे ठाठ
परनिजे झट गोरियो मायत जोवे बाट
५
मरघट माहि भीर है गोरा है चहु दिस
मैयत में हँसता फिरे करो पया थे रीस
१
गोरा आया गाँव में मच गई रेलम पेल
होटलिया हुरदंग करे ज्यो होली रो खेल
२
घर घर खुल गी होटलों हो रही ढोलम ढोल
रिश्ता हो गया बावला नाता पोलमपोल
३
कविताओ काला करे अर भोला भने किताब
गोरो री करो गाइडिंग पूरा कर लो खवाब
४
भनियोरा भुजिया तले अनभानियो रे ठाठ
परनिजे झट गोरियो मायत जोवे बाट
५
मरघट माहि भीर है गोरा है चहु दिस
मैयत में हँसता फिरे करो पया थे रीस
hindi hindu hindustan
हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान इन तीनो का कही न मन
होता इनका नित अपमान हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान
हिंदी वाले मार हैं खाते जगह जगह हैं इसे सताते
अंगेरजी के चरण चुमते हिंदी के परदे फट जाते
अपने ही घर में बेगानी हिंदी की नहीं कोई शान
हिन्दू की भी अजब कहानी सभी जगह हैं आना कानी
इस नाम से सभी कतराते फिरका परस्त इसे बतलाते
छिपाते सभी अपनी पहचान हिन्दू धरम का नहीं अभिमान
हिंदुस्तान हैं नाम ही खोटा धमकाता हर छोटा मोटा
दुनिया सारी में पिटता हैं अपने घर में भी लुटता हैं
निकल गए सारे अरमान हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान
होता इनका नित अपमान हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान
हिंदी वाले मार हैं खाते जगह जगह हैं इसे सताते
अंगेरजी के चरण चुमते हिंदी के परदे फट जाते
अपने ही घर में बेगानी हिंदी की नहीं कोई शान
हिन्दू की भी अजब कहानी सभी जगह हैं आना कानी
इस नाम से सभी कतराते फिरका परस्त इसे बतलाते
छिपाते सभी अपनी पहचान हिन्दू धरम का नहीं अभिमान
हिंदुस्तान हैं नाम ही खोटा धमकाता हर छोटा मोटा
दुनिया सारी में पिटता हैं अपने घर में भी लुटता हैं
निकल गए सारे अरमान हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान
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