गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

aajkal

हर कोई दे रहा उपदेश देखो आजकल
बन गया आदमी दरवेश देखो आजकल
सज गई धर्म की दुकान से सब बस्तिया
बिक रहे सीख के सन्देश देखो आजकल
सत्य के शेयर निरंतर गिर रहे हे
बढ़ रहा झूठ का संसेक्स देखो आजकल
दर्द मेरा देख कर सबने किनारा कर लिया
छिपा रहे हैं यार भी फेस देखो आजकल
पिस रहे मुल्क के आरमान दुगने वेग से
बढ़ रहा इस तरह से देश देखो आजकल
सेवा के सवाल पर नेताजी कहने लेगे
करना पड़ता हर जगह निवेश देखो आजकल
देश के हालात पर सवाल मत करना आनंद
खा जाती हैं कुस्रिया तेश देखो आजकल

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