युगों युगों से यही तो हमने
पुरखो से सुनी कहानी हे
सारे जग में जो पिटता हे
समझो हिन्दुस्तानी हे
रहते हे इस देश में लेकिन
नहीं देश यह भाता हे
सभी चाहते अलग होना
अपना रास्ट्र सुहाता हे
भले देश हो जाये टुकड़े
इनको तो कुर्सी पानी हे
सारे जग जो पिटता हे
अम्जो हिंदुस्थानी हे
पाक चढ़ाये रहता आँखे
बंगलादेश चिढ़ता हे
कभी कभी नेपाल का बच्चा
हमको आँख दिखता हे
हरदम चीन चढ़ा रहता हे
याद दिलाता नानी हे
सारे जग में जो पिटता हे
समझो हिंदुस्थानी हे
अगवा जहाज हमारे होते
मछुआरे भी जीवन खोते
गुरूद्वारे में ग्रंथि पिटते
पढ़ने वाले लडके मरते
हाथ धरे बैठी सरकारे
केवल सख्त बयानी हे
सारे जग में जो पिटता हे समझो
हिन्दिस्थानी हे
सभी चाहते टूटे भारत
खत्म हो गई इसकी गैरत
पिट पिट कर सदियों से इसने
धारण कर ली ऐसी सूरत
मुस्कराता हे मार खाकर
अहिंसा डगर अपनानी हे
सारे जग में जो ----
हिन्दू को मारो मचे हंगमा
मुस्लिम मरे बवाल हो जाये
सिख को मारो तांडव चालू
ईशा पंथी हुँकार लगाये
मारो तुम भारत वाशी को
उबले नहीं जवानी हे
सारे जग में जो पिटता हे
समझो हिंदुस्थानी हे
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