गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

रिश्तो की मिठास कहा हैं
वो घूमर वो रास कहा हैं
बीता बचपन जिस आँगन में
उस आँगन की प्यास कहा हैं
तनहा तनहा बैठे सारे
जीवन का उल्लास कहा हैं
ईर्ष्या आग लगी मन भीतर
मिलने का हुल्लास कहा हैं
सारे जग को अपना कहते
अंदर का विश्वास कहा हैं
पिया मिलन की आशा का
वो अल्हहद बतास कहा हैं
इकटक रहा देखते गौरी
पहले सा प्रवास कहा हैं
भर दे जो जीवन में आशा
पहले जेसे व्यास कहा हैं

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