कुर्सी री खातर माँ ने मासी
कवण री विवशता
देश री धरम निरपेखता
सोमवार, 27 दिसंबर 2010
hisab jindgi ka
रिश्तो ने बना ली है अपनी बैलेंस शीट
संबंधो का तलपट मिलन नहीं करता
उलझ गई है विस्वास की सारी खतोनिया
इसलिए मैं जिन्दगी का हिसाब नहीं करता
संबंधो का तलपट मिलन नहीं करता
उलझ गई है विस्वास की सारी खतोनिया
इसलिए मैं जिन्दगी का हिसाब नहीं करता
शनिवार, 25 दिसंबर 2010
hind ka bavishya
जानते नहीं है वो झाँसी वाली रानी को
रानी मुखर्जी के फोटो चिपकाये है
भूल गए है वीर शिवा सुभाष को
आमिर सलमान हिये बीच मे बिठाये है
याद नहीं कोर्से की किताबों के नाम भी
डायलोग फ़िल्मी सब रटे रटाये है
कहता आनंद यह हिंद का भविष्य देखो
भूल कर खुद को ये कैसे पगलाए है
रानी मुखर्जी के फोटो चिपकाये है
भूल गए है वीर शिवा सुभाष को
आमिर सलमान हिये बीच मे बिठाये है
याद नहीं कोर्से की किताबों के नाम भी
डायलोग फ़िल्मी सब रटे रटाये है
कहता आनंद यह हिंद का भविष्य देखो
भूल कर खुद को ये कैसे पगलाए है
गुरुवार, 23 दिसंबर 2010
रिश्तो की मिठास कहा हैं
वो घूमर वो रास कहा हैं
बीता बचपन जिस आँगन में
उस आँगन की प्यास कहा हैं
तनहा तनहा बैठे सारे
जीवन का उल्लास कहा हैं
ईर्ष्या आग लगी मन भीतर
मिलने का हुल्लास कहा हैं
सारे जग को अपना कहते
अंदर का विश्वास कहा हैं
पिया मिलन की आशा का
वो अल्हहद बतास कहा हैं
इकटक रहा देखते गौरी
पहले सा प्रवास कहा हैं
भर दे जो जीवन में आशा
पहले जेसे व्यास कहा हैं
वो घूमर वो रास कहा हैं
बीता बचपन जिस आँगन में
उस आँगन की प्यास कहा हैं
तनहा तनहा बैठे सारे
जीवन का उल्लास कहा हैं
ईर्ष्या आग लगी मन भीतर
मिलने का हुल्लास कहा हैं
सारे जग को अपना कहते
अंदर का विश्वास कहा हैं
पिया मिलन की आशा का
वो अल्हहद बतास कहा हैं
इकटक रहा देखते गौरी
पहले सा प्रवास कहा हैं
भर दे जो जीवन में आशा
पहले जेसे व्यास कहा हैं
रविवार, 19 दिसंबर 2010
एक बार मिल गए मुझे भगवान
खड़े मंदिर के बाहर
अकेले उदास दुखी और पस्त
पूछा मैंने ठाकुरजी यहाँ कैसे
अन्दर है आपका स्थान
बोले भगवान
शरणागत सारे संसार के
मधिम आवाज मैं
मेरे भोले भगत अब नहीं है ठिकाना
मेरा मंदिर के अन्दर
मेरी पूजा के सारे स्थान बन गए है डेरे
किसी न किसी की स्वार्थ पूर्ति के
मेरी पूजा करने वालो ने खुद को घोषित कर दिया है भगवान
राजनाति की शतरंज बिछ गई है मेरे गर्भ गढ़ तक
तय हो गए है भाव मेरे दर्शन के प्रसाद के झांकी के
अब नाचना पड़ता है मुझे इनके इशारेपे
देने दर्शन किसी विआइपि को
इसलिए त्याग दिए है मेने मंदिर मस्जिस्द गुरुदाव्रे चुर्च और मठ
मिलने किसी सच्चे भगत से खड़ा हू मै इन पाखंड के डेरो के बाहर
खड़े मंदिर के बाहर
अकेले उदास दुखी और पस्त
पूछा मैंने ठाकुरजी यहाँ कैसे
अन्दर है आपका स्थान
बोले भगवान
शरणागत सारे संसार के
मधिम आवाज मैं
मेरे भोले भगत अब नहीं है ठिकाना
मेरा मंदिर के अन्दर
मेरी पूजा के सारे स्थान बन गए है डेरे
किसी न किसी की स्वार्थ पूर्ति के
मेरी पूजा करने वालो ने खुद को घोषित कर दिया है भगवान
राजनाति की शतरंज बिछ गई है मेरे गर्भ गढ़ तक
तय हो गए है भाव मेरे दर्शन के प्रसाद के झांकी के
अब नाचना पड़ता है मुझे इनके इशारेपे
देने दर्शन किसी विआइपि को
इसलिए त्याग दिए है मेने मंदिर मस्जिस्द गुरुदाव्रे चुर्च और मठ
मिलने किसी सच्चे भगत से खड़ा हू मै इन पाखंड के डेरो के बाहर
khabare
नया क्या सुनाती हैं खबरे
बस रोज आती है खबरे
खड़े है वही जहा से चले थे
आंकड़े विकास के बताती हैं खबरे
भूखे पर गौर नहीं करता कोई
भूख से मरना बन जाती हैं खबरे
गिरे हैं खुद की नजर से कितना
द्रष उड़ान के दिखाती हैं खबरे
हकीकत से चुरा ली है आँखे सबने
सपनों की दुनिया बताती हैं खबरे
चल रहा जूठ का दौर अब
सच से कतराती हैं खबरे
देखता नहीं कोई तह में जाकर
ऊपर ऊपर बन जाती है खबरे
मत घबरा यह देख कर आनंद
छपती नहीं छपवाई जाती है खबरे
बस रोज आती है खबरे
खड़े है वही जहा से चले थे
आंकड़े विकास के बताती हैं खबरे
भूखे पर गौर नहीं करता कोई
भूख से मरना बन जाती हैं खबरे
गिरे हैं खुद की नजर से कितना
द्रष उड़ान के दिखाती हैं खबरे
हकीकत से चुरा ली है आँखे सबने
सपनों की दुनिया बताती हैं खबरे
चल रहा जूठ का दौर अब
सच से कतराती हैं खबरे
देखता नहीं कोई तह में जाकर
ऊपर ऊपर बन जाती है खबरे
मत घबरा यह देख कर आनंद
छपती नहीं छपवाई जाती है खबरे
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