रात सा आलम लगता हैं अब दोपहर में
बात कुछ ऐसी हुई पिछले दिनों शहर में
क़त्ल करने के लिए सीने में खंजर घोप दो
जान लेने वाली बात अब नहीं हे जहर में
देख कर लगता नहीं इस नदी की धार को
कल बहा कर ले गई जो गाव को लहर में
घात करने के लिए दुश्मन नहीं अब चाहिए
बहुत हो गए हे यार मेरे अब इस शहर में
आवाम की तकलीफ से भला उन्हें क्या वास्ता
ठाठ उनके हो गए हैं जन्दगी के प्रहर में
शनिवार, 30 अप्रैल 2011
गुरुवार, 28 अप्रैल 2011
aajkal
हर कोई दे रहा उपदेश देखो आजकल
बन गया आदमी दरवेश देखो आजकल
सज गई धर्म की दुकान से सब बस्तिया
बिक रहे सीख के सन्देश देखो आजकल
सत्य के शेयर निरंतर गिर रहे हे
बढ़ रहा झूठ का संसेक्स देखो आजकल
दर्द मेरा देख कर सबने किनारा कर लिया
छिपा रहे हैं यार भी फेस देखो आजकल
पिस रहे मुल्क के आरमान दुगने वेग से
बढ़ रहा इस तरह से देश देखो आजकल
सेवा के सवाल पर नेताजी कहने लेगे
करना पड़ता हर जगह निवेश देखो आजकल
देश के हालात पर सवाल मत करना आनंद
खा जाती हैं कुस्रिया तेश देखो आजकल
बन गया आदमी दरवेश देखो आजकल
सज गई धर्म की दुकान से सब बस्तिया
बिक रहे सीख के सन्देश देखो आजकल
सत्य के शेयर निरंतर गिर रहे हे
बढ़ रहा झूठ का संसेक्स देखो आजकल
दर्द मेरा देख कर सबने किनारा कर लिया
छिपा रहे हैं यार भी फेस देखो आजकल
पिस रहे मुल्क के आरमान दुगने वेग से
बढ़ रहा इस तरह से देश देखो आजकल
सेवा के सवाल पर नेताजी कहने लेगे
करना पड़ता हर जगह निवेश देखो आजकल
देश के हालात पर सवाल मत करना आनंद
खा जाती हैं कुस्रिया तेश देखो आजकल
रविवार, 3 अप्रैल 2011
bufe bhoj
बुफे जीमन
मुन्गरे सु करता था मनवारो मोटी मोटी
हाथ जोर जीमन ने आसन बिचावता
धोमा लेने करता था पुरासरो प्रेम सु
कवा देवन सारुखुद मोर्चा लगवाता
हम्मे ऐ सारी बातो लगे हे सपने ज्यू
डोलता फिरे हे सब रोटियो रीखोज में
हल्दीघाटी रो सीन देखना जो चाओ भाई
आओ म्हारे साथै इण बुफे वाले भोज में
मुन्गरे सु करता था मनवारो मोटी मोटी
हाथ जोर जीमन ने आसन बिचावता
धोमा लेने करता था पुरासरो प्रेम सु
कवा देवन सारुखुद मोर्चा लगवाता
हम्मे ऐ सारी बातो लगे हे सपने ज्यू
डोलता फिरे हे सब रोटियो रीखोज में
हल्दीघाटी रो सीन देखना जो चाओ भाई
आओ म्हारे साथै इण बुफे वाले भोज में
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