शनिवार, 26 मार्च 2011

गोरो रा दूहा

गोरा आया गाँव में मच गई रेलम पेल
होटलिया हुरदंग करे ज्यो होली रो खेल

घर घर खुल गी होटलों हो रही ढोलम ढोल
रिश्ता हो गया बावला नाता पोलमपोल

कविताओ काला करे अर भोला भने किताब
गोरो री करो गाइडिंग पूरा कर लो खवाब

भनियोरा भुजिया तले अनभानियो रे ठाठ
परनिजे झट गोरियो मायत जोवे बाट

मरघट माहि भीर है गोरा है चहु दिस
मैयत में हँसता फिरे करो पया थे रीस

hindi hindu hindustan

हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान इन तीनो का कही न मन
होता इनका नित अपमान हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान
हिंदी वाले मार हैं खाते जगह जगह हैं इसे सताते
अंगेरजी के चरण चुमते हिंदी के परदे फट जाते
अपने ही घर में बेगानी हिंदी की नहीं कोई शान
हिन्दू की भी अजब कहानी सभी जगह हैं आना कानी
इस नाम से सभी कतराते फिरका परस्त इसे बतलाते
छिपाते सभी अपनी पहचान हिन्दू धरम का नहीं अभिमान
हिंदुस्तान हैं नाम ही खोटा धमकाता हर छोटा मोटा
दुनिया सारी में पिटता हैं अपने घर में भी लुटता हैं
निकल गए सारे अरमान हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान